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एक मुलाक़ात -लेखनी प्रतियोगिता -16-Apr-2022

राह चलते दर्दनाक दृश्य से हुई मुलाकात
ना चाहते हुए भी आंसुओं की हुई बरसात।

सड़क किनारे एक स्त्री सह रही प्रसव पीड़ा
अस्पताल पहुँचाने का न उठाया किसी ने बीड़ा।

एक ठेले के नीचे कराह रही थी वह माता
न था कोई मानो उसे सांत्वना दे रहा विधाता।

देकर जन्म संतान को दर्द से सुकून जब पाई
अगले ही पल उसमें माँ दुर्गा थी नजर आई।

महिला की पीठ पर नवजात शिशु था बंधा
हाथ में उसके भरा हुआ एक ठेला था सधा।

आंसुओं का सैलाब उमड़ने को हुआ बेचैन
पास ही घरवाला शराब पी रहा था ले चैन।

मैं बोला नवजात शिशु संग न बोझ उठाओ
प्रसव पीड़ा सहा है शरीर को विश्राम कराओ।

बोली ईश्वर ने अति दृढ़ बनाया माँ का गात
संतान हेतु विकट संकट से करुँगी मुलाकात।

मेहनत बिन शिशु को दूध कहाँ से पिलाऊँगी
पति के लिए शराब और खाना कैसे लाऊँगी।

उस माँ से मेरी दो पल की जो भी थी बात हुई
उसके व्यथा ग्रसित दिल से मेरी मुलाकात हुई।

कुछ पैसे देने हेतु जब बढ़ाया मैंने अपना हाथ
बोली, नहीं बाबूजी मेरी किस्मत है मेरे साथ।

भीख देकर यूँ मारो न मेरे स्वाभिमान पर लात
उस दिन नारी के अद्भुत रूप से हुई मुलाकात।

मुझे लगा मानो दे रही हो वह वक्त को मात
हर पल कर रही थी संघर्षों से वह मुलाकात।

उस पल हृदय में हो रही थी निर्मम वेदना
क्या इसी लिए विधाता ने नारी शक्ति को जना।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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13 Comments

Nand Gopal Goyal

12-Jun-2022 12:24 PM

अति उत्तम 👌👌

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Sachin dev

17-Apr-2022 08:13 PM

👍👍

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Anam ansari

17-Apr-2022 02:44 PM

Very nice

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